Day-2 Journaling (Fight over Whatsapp with NLP trainer)

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What do you think? Habitating Red planet Mars for riches is important or, stabilizing our home planet Earth for all of us, is the only important job for all of us? Do we take birth to beautify our own world or, working together for the world of every single person, current, budding & upcoming all generations to save our own home? Can we save our own home without saving our home planet ? An initiative to make mother earth a beautiful home for all of us together. One World, One Family -2040.
तुम हो क्या? कहीं तुम तो नहीं! किसे पता। हा हा हा।
सुनो! ध्यान से सुनो। नामर्द वह नहीं है जो बच्चे पैदा नहीं कर सकता। ना मर्दानगी कई तरीके के होते हैं। सही मायने में अगर देखा जाए तो नामर्द वह है जो ज्यादा पैसे नहीं कमा सकता उतनी, जितनी उसे चाहिए । नामर्द वह है जो दुनिया से लड़ नहीं सकता, दुनिया का सामना करने की क्षमता नहीं रखता। नामर्द वह है जो घर के बड़े बुजुर्ग, बच्चे और औरतों, पूरे परिवार का ख्याल सही से नहीं रख सकता और उसके होते हुए उन्हें भी काम करना पड़ता हो। नामर्द वह है जिसे खुद का रास्ता इख्तियार करना नहीं आता, खुद के लिए और अपनों के लिए। नामर्द वह है जिसका खुद पर कोई संयम नहीं है जो दुनिया के बहाव में बह जाता है।
नामर्द वह है जिसे मन मस्तिष्क पर संयम नहीं।
नामर्द कोई निशानी नहीं, लक्षण होते हैं जहां पर नमर्दानगी बहुत तरीके से किसी के अंदर हो सकती है। जवान होकर भी यह सोचना कि मैं पैसे कैसे कमाऊं, ना मर्दानगी है। जवान होकर भी यह सोचना कि दुनिया का मैं सामना कैसे करूं, ना मर्दानगी है। करने से ज्यादा सोचने पर विश्वास रखना और सोचते रहना ना मर्दानगी है। याद रहे, जीवन इतना भी बड़ा नहीं कि हम एक पल के लिए भी सोच सकें जी हां एक पल के लिए। क्योंकि एक पल के लिए सोचना, सोचना सिर्फ एक पल के लिए नहीं होता है । वह एक आदत और फिर जीवन का हिस्सा बन जाता है और फिर दैनिक दिनचर्या बन जाती है और सोच,अतिसोच से जीवन समाप्त होने लगता है।
कोई एक काम करो जो पूरे देश में, पूरे राज्य में, पूरे जिला में, पूरे विश्व में तुम्हारे जैसा नहीं करता हो दूसरा कोई। सफलता-असफलता से दूर, किसी व्यापार से दूर, सिर्फ नाम शोहरत और सिर्फ काम की खातिर।
बाजार डालो खुद का डंका दिखाओ तो दुनिया को कि तुम भी इस दुनिया में थे या हो। क्यों गुमशुदा जिंदगी जी कर गुमशुदा मरना।
धो डालो अपनी नमर्दानगी को। दुनिया तो क्या तुम्हें भी नहीं लगना चाहिए कितना मर्दानगी का एक कतरा भी तुम्हारे अंदर है तुमने जन्म लिया है जाओ और पूरी दुनिया पर राज करो, अपना परचम लहराओ। तुम्हारे जैसा दूसरा कोई ना हो बस । अपना ध्यान इसी पर केंद्रित करो।
"जलो सूरज की तरह, बहो नदिया की तरह, रहो हवा की तरह, गाओ पक्षियों की तरह, चलो निरंतर पृथ्वी की तरह चमकू आकाश में तारों की तरह।"
पूरी दुनिया को तुम अपना बना सकते हो जैसे सभी बनाते हैं अपनी जिंदगी जीने के लिए और तुम हो कि दुबक कर एक 10 x 14 के कमरे में सड़ रहे हो सिर्फ सोच सोच कर। निकलो बाहर और खेलो जमकर।
करते-करते सभी हो जाता है पहले जाकर कोशिश तो करो समझो तो पहले वातावरण को। मनुष्य मस्तिष्क इतना शक्तिशाली है कि वह किसी भी चीज पर विजय प्राप्त कर सकता है। तुम्हारा मस्तिष्क तब तक तुम्हारा नहीं होगा, तुम्हारा साथ नहीं देगा जब तक कि तुम इसे रूबरू नहीं कराते जो तुम करना चाहते हो फिर देखो यह सब कुछ करके दिखाएगा तुम्हें।
डर हमेशा तभी होता है जब तक मस्तिष्क वातावरण से रूबरू ना हो जाए लेकिन एक और अगर तुमने इसे अवगत करा दिया यह अपनी खुद की गणना करके स्थिति पर विजय प्राप्त करने लग जाएगा।
तुम्हें जाकर चेष्टा करना है चीजों को अवलोकन करना है अंदर बाहर हर चीज को समझना है सीखना है पर उपरांत उसका समाधान कैसे हो इस पर विचार करके रणनीति बनानी है और पुणे प्रयासरत हो जाना है। इसे ही कहते हैं जीवन लीला। जीवन एक लीला है एक खेल है जहां सबसे ज्यादा जिंदगी जीने की मौके उपलब्ध हैं। और इसी तरीके से तुम अपनी जिंदगी मे रंग भर सकते हो।
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